अटक बौद्ध स्तूप , पंजाब ,पाकिस्तान
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है की पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता किस कदर हावी है। यहां धर्म विशेष के धार्मिक स्थलों छोड़ के किस और धर्म के लोगो को काफिर कहा जाता है और उन को बुतपरस्त कहा जाता है इस लिए पाकिस्तान की सरकार जानबूझ कर दूसरे धर्मो के धार्मिक स्थलों या ऐतिहासिक महत्व स्थलों को बर्बाद होने छोड़ देती है।
ऐसी ही एक बौद्ध महत्त्व का स्थल आज पाकिस्तान में अपनी आखरी सांस गिन रही है ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में पुंजासाहेब नाम की एक जगह है सर जॉन मार्शल, जो भारत के महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण (1 9 02-19 28) थे, उन्होंने कहा था की इस जगह बौद्धों ने चार स्तूप और मठों को बनाया था जो तकशिला के बाद पाकिस्तान वाले हिस्से में सबसे बड़े बौद्ध मठो में से एक था यह बौद्ध करीब 2,000 साल पुराना था मतलब इस्लाम के जन्म से भी 600 साल पुराना इस के बाद इसे इस्लामी आक्रमणकारी ने तबाह कर दिया और जब यह इलाका सिखों के कब्ज़े में आया तब इस पे एक गुरुद्वारा बनाया गया लेकीन आज यह इलाका पूरी तरह तबाह है और इसे लोगो द्वारा कबज़ा कर घर और खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है की पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता किस कदर हावी है। यहां धर्म विशेष के धार्मिक स्थलों छोड़ के किस और धर्म के लोगो को काफिर कहा जाता है और उन को बुतपरस्त कहा जाता है इस लिए पाकिस्तान की सरकार जानबूझ कर दूसरे धर्मो के धार्मिक स्थलों या ऐतिहासिक महत्व स्थलों को बर्बाद होने छोड़ देती है।
ऐसी ही एक बौद्ध महत्त्व का स्थल आज पाकिस्तान में अपनी आखरी सांस गिन रही है ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में पुंजासाहेब नाम की एक जगह है सर जॉन मार्शल, जो भारत के महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण (1 9 02-19 28) थे, उन्होंने कहा था की इस जगह बौद्धों ने चार स्तूप और मठों को बनाया था जो तकशिला के बाद पाकिस्तान वाले हिस्से में सबसे बड़े बौद्ध मठो में से एक था यह बौद्ध करीब 2,000 साल पुराना था मतलब इस्लाम के जन्म से भी 600 साल पुराना इस के बाद इसे इस्लामी आक्रमणकारी ने तबाह कर दिया और जब यह इलाका सिखों के कब्ज़े में आया तब इस पे एक गुरुद्वारा बनाया गया लेकीन आज यह इलाका पूरी तरह तबाह है और इसे लोगो द्वारा कबज़ा कर घर और खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।