शिवनेरी बौद्ध गुफाएं , जुन्नर , महारष्ट्र
वैसे तो महाराष्ट्र का शिवनेरी किला इस लिए प्रसिद्द है की यह छत्रपति शिवजी राजे की जन्म स्थली है , वैसे यह किला शिवनेरी पुणे के नाणेघाट में है जो ट्रैकर के लिए एक स्वर्ग के सामान है ,शिवनेरी किले के समीप ही है जुन्नर नाम का एक प्रसिद्द और इतिहासिक शहर है ,यह शहर शंक साम्राज्य की राजधानी रहा जो केवल बुद्ध के 300 साल बाद हुआ इन के कई राजा बौद्ध धम्म को मानाने वाले थे ,इस के बाद शंक साम्राज्य सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णी ने हराया यह वही राजा है जिन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रसिद्द बौद्ध केंद्र अमरावती को बसाया था , यह बौद्ध धम्म के बड़े संगरक्षक थे, जुन्नर शहर एक व्यापारिक मार्ग था यही कारण रहा की सातवाहन राजाओ ने इस जगह किले का निर्माण कराया , आज जिसे शिवनेरी किले के नाम से जाना जाता है , सातवाहन साम्राज्य के बाद यह चालुक्य, राष्ट्रकूट आदि साम्राज्यों के कब्जे में आता रहा , लेकीन जैसा मैंने बताया की सातवाहन राजा बौद्ध धम्म के संगरक्षक थे और यह जगह एक व्यापारिक मार्ग पर थी इस लिए इस जगह से बौद्ध भिक्षु धम्म प्रचार करते थे इस कारण यह कुछ बौद्ध गुफाये पायी गयी है यह 60 गुफाओं का समूह है जो सातवाहन काल का है दूसरी शताब्दी के शुरुआती दिनों में यह स्थान बौद्ध गतिविधियों के केंद्र का महत्वपूर्ण स्थान था इन बौद्ध गुफाओ में कुछ जो महत्वपूर्ण गुफाये है वह है
गुफा 26 - दो मंजिला बौद्ध विहार
गुफा 45 - "बारा-कोत्री" के नाम से जाना जाने वाला बौद्ध भिक्षुओं का निवास जो 12 अलग अलग भागो में है ।
गुफा 51 - एक चैत्य में किसी व्यापारी का शिलालेख
वैसे तो महाराष्ट्र का शिवनेरी किला इस लिए प्रसिद्द है की यह छत्रपति शिवजी राजे की जन्म स्थली है , वैसे यह किला शिवनेरी पुणे के नाणेघाट में है जो ट्रैकर के लिए एक स्वर्ग के सामान है ,शिवनेरी किले के समीप ही है जुन्नर नाम का एक प्रसिद्द और इतिहासिक शहर है ,यह शहर शंक साम्राज्य की राजधानी रहा जो केवल बुद्ध के 300 साल बाद हुआ इन के कई राजा बौद्ध धम्म को मानाने वाले थे ,इस के बाद शंक साम्राज्य सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णी ने हराया यह वही राजा है जिन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रसिद्द बौद्ध केंद्र अमरावती को बसाया था , यह बौद्ध धम्म के बड़े संगरक्षक थे, जुन्नर शहर एक व्यापारिक मार्ग था यही कारण रहा की सातवाहन राजाओ ने इस जगह किले का निर्माण कराया , आज जिसे शिवनेरी किले के नाम से जाना जाता है , सातवाहन साम्राज्य के बाद यह चालुक्य, राष्ट्रकूट आदि साम्राज्यों के कब्जे में आता रहा , लेकीन जैसा मैंने बताया की सातवाहन राजा बौद्ध धम्म के संगरक्षक थे और यह जगह एक व्यापारिक मार्ग पर थी इस लिए इस जगह से बौद्ध भिक्षु धम्म प्रचार करते थे इस कारण यह कुछ बौद्ध गुफाये पायी गयी है यह 60 गुफाओं का समूह है जो सातवाहन काल का है दूसरी शताब्दी के शुरुआती दिनों में यह स्थान बौद्ध गतिविधियों के केंद्र का महत्वपूर्ण स्थान था इन बौद्ध गुफाओ में कुछ जो महत्वपूर्ण गुफाये है वह है
गुफा 26 - दो मंजिला बौद्ध विहार
गुफा 45 - "बारा-कोत्री" के नाम से जाना जाने वाला बौद्ध भिक्षुओं का निवास जो 12 अलग अलग भागो में है ।
गुफा 51 - एक चैत्य में किसी व्यापारी का शिलालेख
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