फ़ा ठाट लुआंग स्तूप ,लाओस
लाओस एक छोटा देश है जो थाईलैंड के बाजु में है ,और यह देश भारतीयों के घूमने के लिए एक सस्ता और अच्छा स्थान है क्यों की भारत के 100 रूपये यहाँ के पैसे कीप के 12722 ( बारह हजार सात सौ बाईस ) के बारबार है
फ़ा ठाट लुआंग का बौद्ध स्तूप लाओस देश की राजधानी विनतिएन में मौजूद है और यह लाओस के लोगो के लिए गर्व का कारण है। यह स्तूप पूरी तरह सोने से धका हुआ है ,
फ़ा ठाट लुआंग का बौद्ध स्तूप लाओस देश की राजधानी विनतिएन में मौजूद है और यह लाओस के लोगो के लिए गर्व का कारण है। यह स्तूप पूरी तरह सोने से धका हुआ है ,
फ़ा ठाट लुआंग का बौद्ध स्तूप 3 सदी में मौर्या साम्राज्य के समय बौद्ध धर्म का प्रचार करने आये बौद्ध भिक्षु द्वारा बनवाया गया था और ऐसा माना जाता है की यह बौद्ध भिक्षु अपने साथ भगवन बुद्ध के पवित्र अवशेष ले कर आये थे जिसे सम्राट अशोक ने भेजा था जो इस स्तूप में रखे थे और जिसे , जिसे खमेर साम्राज्य के मंदिर के रूप में 13 वीं सदी में फिर बनाया गया था जो बाद में तबाह हो गया था ।मध्य 16 वीं सदी में, राजा सेठथिरथ अपनी राजधानी लुआंग प्राबांग से आज के विनतिएन में ले कर आया और इस स्तूप का निर्माण करवाया और सन् 1641 में, डच ईस्ट इंडिया कंपनी के राजदूत गेर्रित वन वुयसोफ़्फ़ का भव्य स्वागत लाओस के राजा सौरिगना वोंगसा ने अपनी राजधानी विनतिएन में किया था ,जिस के बारे में डच राजदूत ने लिखा है की यह स्तूप हज़ारो पौंड के वजन के सोने से ढका था और यह इस स्तूप की भव्यता का प्रमाण है। पर ,फ़ा ठाट लुआंग का यह स्तूप 1828 में थाई आक्रमण से नष्ट हो गया था और इस स्तूप को परित्यक्त कर छोड़ दिया गया था ,और इसे फ्रेंच लोगो ने 1900 में इस के मूल स्वरूप में वापस बनाया जिसे फ्रेंच वास्तुकार लुई देलापोर्टे के विस्तृत चित्र के आधार पर बनाया गया है पर यह प्रयास विफल हुआ और इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वापस बनाया जा सका
आज यह स्तूप लाओस के लोगो के लिए लाओ संस्कृति और पहचान का प्रतीक है यह स्तूप तीन हिस्सों में बना है जो बौद्ध सिद्धांतो का प्रतीक है यह स्तूप तीन स्तरों में बना है यह का पहला स्तर 226 फीट (68 मीटर) का है ,दूसरा स्तर 157 फीट (47 मीटर) है ,और तीसरा स्तर 98 फीट (29 मीटर) है और पूरा स्तूप 147.6 फीट (44 मीटर) का है