वाट अरुण बौद्ध मंदिर, बैंकॉक , थाईलैंड
यह वाट अरुण बौद्ध मंदिर थाईलैंड के याइ जिले में है ,जो चाओ फ्रया नदी के किनारे बना हुआ है ,ऐसा कहा जाता है की एक बौद्ध मंदिर अयुथिया साम्राज्य के समय से मौजूद था जिसे वाट मैकॉक कहा जाता था। एक प्रसिद्ध इत्तिहासकार बताते है की फ्रांसीसी नक्शे में दिखाया गया था इस जगह पे एक बौद्ध मंदिर राजा नंराई के शासनकाल (1656-1688) में भी था और जब अयुथिया साम्राज्य का पतन हुआ तब राजा ताकशिन ने अपनी राजधानी इस मदिर के पास थोनबुरी नाम की जगह पे बनायीं थी। ऐसा माना जाता है की राजा ताकशिन ने यहा से गुजरते हुआ इस मंदिर का वापस जीर्णोद्धार करने की कसम खाई थी ,यह मंदिर ताकशिन साम्राज्य के शाही महल के पास था जब तक राजा ताकशिन के उत्तराधिकारी राजा रामा प्रथम उस महल को नदी के दूसरे तरफ नहीं ले गए और यह मदिर कुछ समय तक वीरान पड़ा रहा जब तक राजा रामा द्वितीय ने इस का वापस जीर्णोद्धार नहीं कराया और इस के खमेर शैली टॉवर को 70 मीटर उँचा नहीं बनवा दिया।
वास्तुकला
वाट अरुण की मुख्य विशेषता है इस का खमेर शैली टॉवर है जो पोर्सिलेन नाम की रंगीन मिटटी से ढका गया है ,जिस की उचाई 66.8 मीटर है। खमेर शैली टॉवर का निर्माण यहा के राजा रामा द्वितीय के दौरान शुरू हुआ 1809-1824 और राजा रामा तृतीय (1824-1851) के समय पूरा हुआ। टावरों को राक्षसों और बंदरों की पंक्तियों के द्वारा सहारा दिया गया है ।
यह वाट अरुण बौद्ध मंदिर थाईलैंड के याइ जिले में है ,जो चाओ फ्रया नदी के किनारे बना हुआ है ,ऐसा कहा जाता है की एक बौद्ध मंदिर अयुथिया साम्राज्य के समय से मौजूद था जिसे वाट मैकॉक कहा जाता था। एक प्रसिद्ध इत्तिहासकार बताते है की फ्रांसीसी नक्शे में दिखाया गया था इस जगह पे एक बौद्ध मंदिर राजा नंराई के शासनकाल (1656-1688) में भी था और जब अयुथिया साम्राज्य का पतन हुआ तब राजा ताकशिन ने अपनी राजधानी इस मदिर के पास थोनबुरी नाम की जगह पे बनायीं थी। ऐसा माना जाता है की राजा ताकशिन ने यहा से गुजरते हुआ इस मंदिर का वापस जीर्णोद्धार करने की कसम खाई थी ,यह मंदिर ताकशिन साम्राज्य के शाही महल के पास था जब तक राजा ताकशिन के उत्तराधिकारी राजा रामा प्रथम उस महल को नदी के दूसरे तरफ नहीं ले गए और यह मदिर कुछ समय तक वीरान पड़ा रहा जब तक राजा रामा द्वितीय ने इस का वापस जीर्णोद्धार नहीं कराया और इस के खमेर शैली टॉवर को 70 मीटर उँचा नहीं बनवा दिया।
वास्तुकला
वाट अरुण की मुख्य विशेषता है इस का खमेर शैली टॉवर है जो पोर्सिलेन नाम की रंगीन मिटटी से ढका गया है ,जिस की उचाई 66.8 मीटर है। खमेर शैली टॉवर का निर्माण यहा के राजा रामा द्वितीय के दौरान शुरू हुआ 1809-1824 और राजा रामा तृतीय (1824-1851) के समय पूरा हुआ। टावरों को राक्षसों और बंदरों की पंक्तियों के द्वारा सहारा दिया गया है ।
No comments:
Post a Comment