आयरन पगोडा,कैफेंग शहर,हेनान,चीन
उत्तरी सांग (960-1127) राजवंश की राजधानी कैफेंग में,प्रसिद्ध वास्तुकार यू हाओ ने योंगओ बौद्ध मंदिर के हिस्से के रूप में एक शानदार लकड़ी के पगोडे का निर्माण किया (965-995 ईसवी ) में जिसे वास्तुकला का चमत्कार मना गया। 1044 में दुर्भाग्य से, यह लकड़ी के पैगोडा की संरचना बिजली गिरने के बाद जल गयी ,सम्राट रेंजोंग (1022-1063) के आदेश के तहत, एक नया पगोडा उसे जगह बनाया गया ,यह पैगोडा काम पकी ईटो से बनाया गया और ईटो का रंग लौह की रंग की तरह था जिस से यह पगोडा लोहे से बना लगता इस कारण इस पगोडा का नाम" आयरन पगोडा" रखा गया। 1847 पीली नदी अपने तटों को तोड़ कर योंगओ बौद्ध मंदिर में घुस गयी और मंदिर गिर गया पर यह आयरन पगोडा सुरक्षित बच गया। ऐतिहासिक रूप से, इस पगोडा ने 38 भूकंप, छह बाढ़ और कई अन्य आपदाओं का अनुभव किया है, लेकिन यह लगभग 1000 वर्ष से ऐसा ही खड़ा है।
उत्तरी सांग (960-1127) राजवंश की राजधानी कैफेंग में,प्रसिद्ध वास्तुकार यू हाओ ने योंगओ बौद्ध मंदिर के हिस्से के रूप में एक शानदार लकड़ी के पगोडे का निर्माण किया (965-995 ईसवी ) में जिसे वास्तुकला का चमत्कार मना गया। 1044 में दुर्भाग्य से, यह लकड़ी के पैगोडा की संरचना बिजली गिरने के बाद जल गयी ,सम्राट रेंजोंग (1022-1063) के आदेश के तहत, एक नया पगोडा उसे जगह बनाया गया ,यह पैगोडा काम पकी ईटो से बनाया गया और ईटो का रंग लौह की रंग की तरह था जिस से यह पगोडा लोहे से बना लगता इस कारण इस पगोडा का नाम" आयरन पगोडा" रखा गया। 1847 पीली नदी अपने तटों को तोड़ कर योंगओ बौद्ध मंदिर में घुस गयी और मंदिर गिर गया पर यह आयरन पगोडा सुरक्षित बच गया। ऐतिहासिक रूप से, इस पगोडा ने 38 भूकंप, छह बाढ़ और कई अन्य आपदाओं का अनुभव किया है, लेकिन यह लगभग 1000 वर्ष से ऐसा ही खड़ा है।
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