वैश्य टेकरी बौद्ध स्तूप ,कानीपुरा गाँव, उज्जैन,मध्य प्रदेश
तथागत भगवान गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद अवंती प्रदेश के बौद्ध भिक्षु का एक संघ भगवान बुद्ध के अंतिम दर्शन के लिए कुशीनगर गया था लेकीन उन के वह पहुचने से पहले ही भगवान बुद्ध के भौतिक अवशेषों का बटवारा हो चुका था और वहां तथागत भगवान गौतम बुद्ध का " चीवर और आसंदी " ही शेष बचे। अतः निर्णय लिया गया की तथागत भगवान गौतम बुद्ध की " चीवर और आसंदी " अवंती प्रदेश को दे दी जाये जिस पर उज्जैन में एक बड़े स्तूप का निर्माण हुआ ,और यह स्तूप का स्थान था वैश्य टेकरी ,कानीपुरा गाँव, इस स्तूप की उचाई है 100 और व्यास 350 फीट यह स्तूप के अवशेष आज भी मौजूद है
उज्जैन नगरी अवंति जनपद की राजधानी थी जिस के राज्यपाल सम्राट अशोक थे
इस के अलावा बौद्ध धर्म के महान सम्राट अशोक को भी उनके काल में उज्जैन का राज्यपाल बनाया गया था और उनके बड़े भाई सुशीम को तक्षशिला का राज्यपाल बनाया गया था ,इस के आलावा सम्राट अशोक महान की पहली पत्नी देवी भी उज्जैन के व्यापारी की बेटी थी और सम्राट
अशोक महान को उन से दो संतान हुई ,संघमित्रा और महेंद्र जो बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए श्रीलंका गए और वहाँ उनका परिनिर्वाण हुआ और वह से उनके अवशेष को ला कर तथागत भगवान गौतम बुद्ध के " चीवर और आसंदी " पर बने महास्तूप के बगल में संघमित्रा और महेंद्र के अवशेषों पर दो स्तुपो का निर्माण किया गया ,आज यह दोनों स्तूप सरकार के उपेक्षा में खंडर हो गए है जिसे के पुनर्निर्माण की जरूरत है यहा मेले का आयोजन कियाजिसे हर साल फरवरी के दूसरे रविवार को आयोजित किया जाता है
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