Monday, 29 February 2016

मौर्य सम्राट अशोक महान का शहबाजगढ़ी शिलालेख,पाकिस्तान
शहबाजगढ़ी पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के मरदान जिले के एक गांव है यह स्थान पेशावर के मरदान से नौ मील की दूरी पर स्थित है।[इस में मौर्य सम्राट अशोक महान का एक सन्देश मिला है जो खरोष्ठी भाषा में है

Wednesday, 24 February 2016

मोघालमरी बौद्ध मठ, पश्चिम मेदिनीपुर,पश्चिम बंगाल
मोघालमरी पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर में मौजूद एक बौद्ध स्थल है। इस स्थान पर खुदाई का काम 2002-03 में शुरू हुआ, कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अशोक दत्ता के नेतृत्व में जिन्होंने पता लगाया की यहा एक बौद्ध मठ है जो की 6 वीं सदी से 12 वीं सदी तक आस्तित्व में रहा इस ले बाद इस स्थल पर दूसरी बार खोज राज्य पुरातत्व निदेशालय द्वारा नवंबर 2013 में की गयी।
इस की पहली खुदाई में पांच पांच स्तूप की ईटे और मिट्टी के बर्तनों सतह पर बिखरे मिले 2006-07 में एक और व्यापक खुदाई एम जी एम1 नाम के स्थान पर शुरू किया गया था जिस में सजावटी पुष्प, पशु और मानव मूर्ति मिली इस खुदाई का एक अन्य महत्वपूर्ण खोज एक स्लेट पत्थर बुद्ध की छवि की खोज थी
2012 में खुदाई का एक और दौर शुरू हुआ जिस में एक पत्थर के टुकड़े पर नक्क़ासी कर बुद्ध की मूर्ति मिली और बोधिसत्व और बुद्ध शिलालेख भी मिले, खुदाई के स्थान के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में एक प्रदक्षिणा पथ का पता चला है इस स्थान में मौजूद आंगन और कक्षों के आस पास एक बौद्ध विहार का भी पता चला है यह वज्रयान बुद्ध संप्रदाय का एक पूजा स्थान था।



Sunday, 21 February 2016

रामग्राम बौद्ध स्तूप ,नवलपरासी जिला,नेपाल
रामग्राम बौद्ध स्तूप नेपाल के नवलपरासी जिले में मौजूद एक बौद्ध स्तूप है जिस को जो कुछ 2500 साल पहले बनाया गया था इस के बारे में कहा जाता है की इस स्तूप में भगवान बुद्ध की के अवशेष है ऐसा कहा जाता है की भगवान बुद्ध परिनर्वाण के बाद उन की अवशेष को आठ बारबार हिस्सों में बाटा गया था ,और स्वयंम भगवान बुद्ध के बुद्ध होने से पहले शाक्य वंश के राजकुमार थे ,जिस वजह से अवशेष का एक हिस्सा शक्यो को मिला और उन्होंने इस पर स्तूप का निर्माण किया। बाद में ऐसा कहा जाता है की सम्राट अशोक महान ने उन आठ स्तुपो में से सात स्तुपो में से भगवान बुद्ध के अवशेष निकलवाए और उन अवशेषों को बारबार बाँट के उन पर 84,000 हज़ार स्तुपो का निर्माण किया लेकिन ऐसा कहा जाता है की नागो के राजा रामग्राम के स्तूप की रक्षा स्वय कर रहे थे इस कारण इस स्तूप से भगवान बुद्ध के अवशेष नहीं निकले जा सके ,और यह रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध की के अवशेष पर बनाये गए पेहेले आठ स्तूप में एक मात्र सुरक्षित बचा स्तूप है। रामग्राम बौद्ध स्तूप स्तूप 7 मीटर (23 फुट) ऊंची है और यह जगह युनेस्को विश्व विरासत स्थल में से एक है इसे यह दर्जा 1996 में मिला है।
त्रिरश्मी या पांडु बौद्ध गुफाएं नासिक, महाराष्ट्र



त्रिरश्मी या पांडु बौद्ध गुफाएं नासिक, महाराष्ट्र,के दक्षिण में 8 किमी दूर स्थित है।
त्रिरश्मी या पांडु बौद्ध गुफाएं हीनयान बौद्ध संप्रदाय की 24 गुफाओं एक समूह है जिन्हे 2 शताब्दी ईसवी से लेकर 3 शताब्दी ई.पू. तक बने गया था। गुफाओं में से अधिकांश विहार हैं (बौद्ध भिक्षु के रहने का स्थान ) लेकीन 18 वीं गुफा है जो एक चैत्य (बौद्ध पूजा स्थान )है.
वैसे तो यहा 24 गुफाओं एक समूह है लेकीन दो गुफा प्रमुख आकर्षण हैं मुख्य गुफा जो चैत्य (प्रार्थना हॉल) और जिस में एक सुंदर स्तूप है दूसरी गुफा 10 जो संरचनात्मक और शिलालेख दोनों रूप से सुसज्जित है। गुफाओं को पुंडरु कहा जाता था पाली में भाषा है जिसका अर्थ है "पीला गेरू रंग" जिस बौद्ध भिक्षु पहना करते थे , इस कारण इस गुफा का नाम पांडु गुफा पड़ा इस का महाभारत से कोई रिश्ता नहीं है।

Thursday, 18 February 2016

भगवान बुद्ध का अस्थि कलश , इंडियन म्यूजियम कोलकाता ,भारत
सारनाथ में साल 1798 में धर्मराजिका स्तूप की खुदाई के दौरान बनारस के राजा चेतसिंह के दीवान जगत सिंह के मजदूरों को एक पत्थर के बक्से में रखी मंजूषा में अस्थियां मिली थीं जिसके बारे में माना जाता है कि यह महात्मा बुद्ध की थीं।
सूचना के अधिकार के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूर्वी क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘सारनाथ के स्तूप से प्राप्त पत्थर के बक्से में एक हरे रंग की संगमरमर की मंजूषा मिली जिसमें अस्थियां रखी थीं। ऐसा माना जाता है कि अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया था और मंजूषा को इंडियन म्यूजियम, कोलकाता को सौंप दिया गया।’
भगवान बुद्ध का अस्थि कलश ,पटना संग्रहालय ,भारत

पटना संग्रहालय में रखे बुद्ध के अवशेष पटना संग्रहालय के सबसे बेशकीमती संपत्ति में से एक है और यहा पर1972 के बाद से मौजूद है। पवित्र अवशेष वैशाली जिले में बनया गांव में बने एक स्तूप से प्राप्त हुआ था जिसे पुरातत्वविद् अनंत सदाशिव अल्टेकर द्वारा 1958-1961 में किये गए एक अभियान के दौरान प्राप्त किया गया था , यह एक सफ़ेद बास्केट में रखा गया है जो बुद्ध की राख से एक तिहाई भरा है इस के साथ कुछ और सामान भी वहा मौजूद है जिसे , एक टूटे हुए कांच के मोती, तांबा पंच मार्क सिक्के, शंख और सोने की एक छोटी पत्ती आदि सामान है ।

पौराणिक कथा के अनुसार, बुद्ध ने 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण को प्रापत किया ,उनके अंतिम कार्य के बाद उनके अवशेषों को आठ भागो में बाटा गया था ,जिस में से एक भाग वैशाली के लिच्छवी को भी मिला जिस पर उन्होंने स्तूप का निर्माण किया ,बुद्ध के बाकि अवशेषों पर भी स्तुपो का निर्माण हुआ , चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के अनुसार सम्राट अशोक ने एक स्तूप को छोड़ के सभी स्तुपो में से बुद्ध के अवशेष निकलवाके उस में से प्राप्त अवशेष को बारबार भागो में बांटा कर करीब 84000 स्तूप का निर्माण करवाया था। ऐसा कहा जाता है सम्राट अशोक ने जिस एक स्तूप में अवशेष छोड़े थे वो इस खुदाई में प्राप्त हुआ और इस समय पटना संग्रहालय में मौजूद है यह जो स्तूप का निर्माण वैशाली के लिच्छवी द्वारा किया गया था।

थे पैगोडा ,हनोई, वियतनाम
पैगोडा हनोई से 30 किलोमीटर साईं सोन गांव में स्थित है,यह पैगोडा एक कृत्रिम झील के किनारे पर , साईं सोन पर्वत के पैर में स्थित है पैगोडा 11 वीं सदी मेंके लय नहं टोंग के शासनकाल के दौरान स्थापित किया गया था। पैगोडा को तीन भागों में बांटा गया है ,प्रवेश द्वार हॉल प्रार्थना हॉल है,बीच के कक्ष में बुद्ध के चित्र है , आखरी कक्ष में बौद्ध भिक्षु की मूर्तियां हैं।

Sunday, 14 February 2016

वन पिल्लर पैगोडा , हनोई ,वियतनाम
वन पिल्लर पैगोडा वियतनाम की राजधानी हनोई में मौजूद एक एतिहासिक पगोडा है
बौद्ध विहार सम्राट लइ थाई टोंग, जो 1028-1054 तक शासन किया द्वारा बनाया गया था,ऐसा कहा जाता है की राजा की कोई संतान नहीं थी और जब उन्हें संतान हुई तो उन्होंने इस की खुशी में इस पैगोडा का निर्माण किया ,
बू फ़ोन बौद्ध विहार ,डाँग नई प्रांत, वियतनाम
बू फ़ोन बौद्ध विहार डाँग नई प्रांत वियतनाम में है बौद्ध विहार 17 वीं सदी में थिच बू फ़ोन द्वारा बनाया गया था, पहले यह एक छोटा सा विहार था 18 वीं सदी के अंत में, मिंग राजवंश के पतन के बाद,जातीय चीनी प्रवासियों की एक बड़ी संख्या दक्षिणी वियतनाम में आई जिन्होंने इस विहार को बनवाया

Tuesday, 9 February 2016

ट्रक लाम बौद्ध मठ, डा लाट प्रांत, वियतनाम
ट्रक लाम बौद्ध मठ वियतनाम के डा लाट प्रांत में मौजूद है और शहर से कुछ दूर प्रेन्न पहड़ी पर मौजूद है इस की खासियत है इस की सुंदरता क्यों की यह चारो तरफ से पहाड़ी से घिरा हुआ है और एक पहाड़ पर बसा है यह बौद्ध मठ समुद्र तल से करीब 1300 मीटर ऊपर है और इस तक पहुचने के लिए दो प्रवेश द्वार है जिस के लिए आप को 222 सीढ़ियाँ और 63 सीढ़ियाँ चलना पड़ता है और और हेक्टेयर में फैला है इस में एक तालाब भी है।


Thursday, 4 February 2016

लीन्ह सोन पैगोडा ,डा लाट प्रांत , वियतनाम 

लीन्ह सोन पैगोडा डा लाटप्रांत वियतनाम में हैलीन्ह सोन पैगोडा1938 में बनाया गया था और इसका काम 1940 में खोला गया था । यह पैगोडाय एशियाई शैली में बनाया गया है। इस पैगोडा के मुख्य कक्ष में एक पीतल से बानी गौतम बुद्ध, की मूर्ति है,जो कमल पर बैठी है और उस का वज़न 250 किलो है यहा एक बहोत बड़ा घंटा भी है ।

बेडसे गुफाएं, पुणे , महाराष्ट्र,
बेडसे गुफाएं मावल तालुका, पुणे जिले, महाराष्ट्र, भारत में स्थित हैं। यह गुफा ईसा के पहले 1 शताब्दी ईसा पूर्व की है मतलब करीब साल 2100 पुरानी ,यहा दो मुख्य गुफाएं है जिस में एक चैत्य (बौद्ध भिक्षु का पूजा स्थल ) और एक बौद्ध मठ(बौद्ध भिक्षु का निवास स्थल ) मौजूद है।


Monday, 1 February 2016

लीन्ह सोन पैगोडा ,डा लाट प्रांत , वियतनाम
लीन्ह सोन पैगोडा डा लाटप्रांत वियतनाम में हैलीन्ह सोन पैगोडा1938 में बनाया गया था और इसका काम 1940 में खोला गया था । यह पैगोडाय एशियाई शैली में बनाया गया है। इस पैगोडा के मुख्य कक्ष में एक पीतल से बानी गौतम बुद्ध, की मूर्ति है,जो कमल पर बैठी है और उस का वज़न 250 किलो है यहा एक बहोत बड़ा घंटा भी है ।
कोंडना बौद्ध गुफाएं रायगढ़ महाराष्ट्र ,मुंबई के पास
कोंडना गुफाएं महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 16 बौद्ध गुफाओं के समूह हैं। यह कोंडना गुफाओं 1 शताब्दी ईसा पूर्व में खुदे हुए थे और तीन गुफाएं कोंडना, भाजे या भेजा और कार्ला गुफाओं के समूह में से एक है इन गुफाओं शानदार बौद्ध वास्तुकला का हिस्सा हैं जहा मूर्तियां, विहार, स्तूप, चैत्य सब कुछ है 1900 के प्रारंभ में आये एक भूकंप ने गुफा के कई स्तूप और ने प्रवेश द्वार और फर्श क्षतिग्रस्त कर दिया है पर यह हमारे गौरवशाली अतीत का एक हिस्सा है