भगवान बुद्ध का अस्थि कलश , इंडियन म्यूजियम कोलकाता ,भारत
सारनाथ में साल 1798 में धर्मराजिका स्तूप की खुदाई के दौरान बनारस के राजा चेतसिंह के दीवान जगत सिंह के मजदूरों को एक पत्थर के बक्से में रखी मंजूषा में अस्थियां मिली थीं जिसके बारे में माना जाता है कि यह महात्मा बुद्ध की थीं।
सूचना के अधिकार के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूर्वी क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘सारनाथ के स्तूप से प्राप्त पत्थर के बक्से में एक हरे रंग की संगमरमर की मंजूषा मिली जिसमें अस्थियां रखी थीं। ऐसा माना जाता है कि अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया था और मंजूषा को इंडियन म्यूजियम, कोलकाता को सौंप दिया गया।’
सारनाथ में साल 1798 में धर्मराजिका स्तूप की खुदाई के दौरान बनारस के राजा चेतसिंह के दीवान जगत सिंह के मजदूरों को एक पत्थर के बक्से में रखी मंजूषा में अस्थियां मिली थीं जिसके बारे में माना जाता है कि यह महात्मा बुद्ध की थीं।
सूचना के अधिकार के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूर्वी क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘सारनाथ के स्तूप से प्राप्त पत्थर के बक्से में एक हरे रंग की संगमरमर की मंजूषा मिली जिसमें अस्थियां रखी थीं। ऐसा माना जाता है कि अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया था और मंजूषा को इंडियन म्यूजियम, कोलकाता को सौंप दिया गया।’
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