माहियानगंना राजा माहविहार ,माहियानगंना शहर,श्रीलंका
माहियानगंना राजा माहविहार श्रीलंका के माहियानगंना शहर में एक प्राचीन बौद्ध विहार है। इस विहार के बारे में महावंश नाम के बौद्ध ग्रन्थ ,में भी मिलता है ,जिस में बताया गया है बुद्ध आपने ज्ञान प्राप्ति के 9 महीने में श्रीलंका आये थे और यहा पर रुके थे ऐसा कहा जाता है तक यहा यक्षों के राजा बुद्ध के प्रवचन सुनने के बाद ज्ञान की पहली अवस्था को प्रपात किया था और उन्होंने बुद्ध से उनके कुछ बाल प्राप्त किये थे ताकि वह उनकी पूजा कर सके (महावंश ग्रन्थ में लिखे अनुसार )
543 ईसा पूर्व में बुद्ध के निर्वाण के बाद, साराभु नामक एक बौद्ध भिक्षु बुद्ध की चिता की राख से बुद्ध की गर्दन की हड्डी का पवित्र अवशेष लेकर यहा आये और उसे स्तूप में स्थापित किया
महावंश ग्रन्थ
महावंश नाम का एक बौद्ध ग्रन्थ जो श्रीलंका के इत्तिहास के बारे में और बुद्ध धर्म के श्रीलंका में विकास के बारे में बताता है ,और तथागत के तीन बार लंका आगमन का, तीनों बौद्ध संगीतियों का,विजय के लंका जीतने का, देवानांप्रिय तिष्य के राज्यकाल में अशोकपुत्र महेंद्र के लंका आने का, मगध से भिन्न भिन्न देशों में बौद्ध धर्म प्रचारार्थ भिक्षुओं के जाने का तथा बोधि वृक्ष की शाखा सहित महेंद्र स्थविर की बहन अशोकपुत्री संघमित्रा के लंका आने का वर्णन है और श्रीलंका के राजाओ का इत्तिहास महावंस" पाँचवीं शताब्दी ई पू से चौथी शताब्दी ई तक लगभग साढ़े आठ सौ वर्षों का लेखा है।
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