Monday 12 October 2015

रिड़ी विहार, कुरुनेगला जिला,श्रीलंका

रिड़ी विहार या चांदी का विहार श्रीलंका के कुरुनेगला जिले के रिड़ीगमा गांव में , 2-शताब्दी ईसा पूर्व का थेरवाद बौद्ध विहार है,जिसे दुत्थागामनी के समय बनवाया गया था
दुत्थागामनी, प्राचीन श्रीलंका के अनुराधापुरा के की सिंहली राजा थे जिन्हे जाना जाता है चोला साम्राज्य के तमिल राजा एलारा को हराने के लिए ,(चोला साम्राज्य का उदय भारत के दक्षिण में हुआ और इन्होने जावा ,श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया )दुत्थागामनी इनका राज्य161 ईसा पूर्व से 137 ईसा पूर्व तक रहा ,अपनी एलारा पर जीत की ख़ुशी में उन्होंने रुवनवेलिसया के बड़े स्तूप का निर्माण करवाने का निश्चय किया जो उस समय दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा कोई इमारत थी जिस के लिए उन्हें चांदी की जरूत थी ,उसी वक़्त कुछ व्यापारियों श्रीलंका के मध्य से देश की तत्कालीन राजधानी अनुराधापुरा के लिए जा रहे थे उन्होंने रिड़ीगमा क्षेत्र में पका हुआ कटहल देखा; और उसे काटा और वहाँ की प्रथा अनुसार उस कटहल का पहला भाग बौद्ध भिक्षुओ को दिया सबसे पहले चार भिक्षुओं उनकी इच्छा के अनुसार दिखाई दिए और उन्होंने दाना स्वीकार किया ,फिर चार भिक्षु और आ गए और उन्होंने भी दान स्वीाकर किया ,इनमेसे आखरी भिक्षु का नाम इंद्रगुप्त था ,दान लेने के बाद भिक्षुओं ने उन्हें चांदी की गुफा का पता दिया ,जिस का पता उन व्यापारियों ने अनुराधापुरा पहुंच कर राजा को दिया ,जिस से राजा को एक बड़े स्तूप में लगाने जितना चांदी मिल गए और इस लिए उस ने वहा एक विहार बनवाया इस विहार के आस पास करीब 25 गुफाएं जिस में कभी भिक्षु निवास किया करते थे

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