लोवामहापाया ,अनुराधापुरा, श्रीलंका
लोवामहापाया अनुराधापुरा, श्रीलंका के प्राचीन शहर में जया श्री महाबोधि और रुवनवेलिसया के बीच स्थित एक इमारत है। यह भी ब्रेजन पैलेस या लोहप्रसादय के रूप में जाना जाता है क्योंकि छत कांसे की टाइल्स के साथ ढकी हुई थी । प्राचीन समय में, इमारत चायख़ाना और उपोसथागरा (उपोसथा घर) शामिल थे। यहा सिममलके नाम की जगह थी जहाँ बौद्ध अनुयायी पोया के दिनों में इकठ्ठा हो कर बौद्ध धर्म के सूत्र सुना करते था।
लोवामहापाया राजा दुतुगेमनु द्वारा निर्मित एक ईमारत है यह ईमारत नौ मंज़िला थी और और इमारत की एक तरफ की लंबाई में 400 फुट (120 मीटर) थी। यहा 40 पंक्तियों में 40 पत्थर के खम्बे थे जो कुल मिला के 1600 खम्भों का निर्माण करते थे और इस पर छत भी मौजूद थी ऐसा कहा जाता है की इमारत के निर्माण के लिए छह साल लग गए थे इमारत पूरी तरह से राजा सद्धतिस्सा के शासनकाल के दौरान नष्ट हो गयी थी। आज यह एक छोटी सी ईमारत मौजूद है जो बौद्ध धर्मलम्बियो द्वारा उपोसथा के लिए उपयोग की जाती है
उपोसथा दिवस, राजा बिम्बिसार के अनुरोध पर बुद्ध द्वारा स्थापित किया गया था और बुद्ध इस दिन पर आम आदमियो के लिए बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को देने के लिए भिक्षुओं के निर्देश दिए थे
उपोसथा अनुपालन या आत्म -अवलोकन के लिए बौद्ध दिन है ,बुद्ध के समय (500 ईसा पूर्व) से अस्तित्व में है, और अभी भी कई बौद्ध देशों में इस दिन छुट्टी रहती है ,यह कई देशो में पूर्णिमा के दिन को उपोसथा का दिन मन जाता है और कई देशो में अर्ध चद्रमा के दिन को भी उपोसथा का दिन माना जाता है ,चीन और जापान में एक महीने में दस बार मनाया जाता है,1, 8 वीं, 14 वीं, 15 वीं, 18 वीं, 23 वीं, 24 वीं और प्रत्येक चांद्र मास के अंतिम तीन दिनों को उपोसथा अनुपालन का दिन मन जाता है।
इस दिन संघ के आम और खास सदस्य अपनी धार्मिक प्रथा का सही ढंग से पालन करने सीखते है ,धम्म के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाते है और सदियों पुराने धार्मिक कृत्यों के माध्यम से
अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।प्रत्येक उपोसथा के दिन, बौद्ध उपासक और उपासिका पंचशील और आठ शीलो का अभ्यास करते है ,बौद्ध भिक्षु को उनकी तरह से भेंट देते है ,और बौद्ध उपासक और उपासिका ध्यान का अभ्यास भी करते है।