Sunday 13 September 2015

मिरिसावेतिया स्तूप ,अनुराधपुरम ,श्रीलंका
मिरिसावेतिया स्तूप महान राजा दुतुगेमुनु द्वारा बनाया गया था जिनके राज का समय था (161-137 ईसा पूर्व) में ,उन्होंने श्रीलंका को एक झंडे के नीचे एकजुट किया
ऐसा कहा जाता है राजा दुतुगेमुनु के पास एक राज-दंड था जिस में बुद्ध के पवित्र अवशेष थे जब राजा दुतुगेमुनु एक बार पानी का कोई त्यौहार मानाने जा रहा था तब उस ने इस राज-दंड को किसी जगह गड़ा दिया जब वह वापस आया, तो वह और उस का कोई आदमी उस पवित्र राज-दंड को नहीं निकाल पाया और इस चमत्कार से अभिभूत हो कर राजा दुतुगेमुनु ने वह मिरिसावेतिया स्तूप का निर्माण कराया। एक और कहानी में ऐसा कहा जाता है की यह महान राजा दुतुगेमुनु की एलारा की महान विजय के याद में राज-दंड वहाँ रखा गया है और यह स्तूप बना के राजा दुतुगेमुनु बुद्ध के प्रति अपना समर्पण और श्रद्धा दिखाना चाहता था
अगले 700 सालो में यह स्तूप पूरी तरह तबाह हो गया क्यों की इस जगह से आबादी पूरी तरह खत्म हो गयी और यहा का राजघराना कही और चला गया ,जब अंग्रेज हेनरी पार्कर 1873 में मिरिसावेतिया स्तूप को देखा तो वह केवल एक मिटटी का ढेर था और उसे साफ़ कराया गया और इस के निर्माण की कोशिश की गयी पर पैसे की कमी की वजह से यह काम नहीं हो पाया और 1896 में यह काम आधे में रुक गया। इस के बाद इस को 1980 तक भुला दिया गया और 1980 में इस का निर्माण फिर शुरू हुआ और स्तूप फिर बनाया गया पर यह पूरा हो पता इस से पहले यह 1987 में फिर गिर गया और श्रीलंका सरकार की बड़ी किरकिरी हुई इस का निर्माण फिर किया गया और 1993 में इसे फिर से खोल दिया गया

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