Thursday 26 November 2015

तख़्त-ए रूस्तम (बौद्ध स्तूप) समंगान, अफगानिस्तान
वैसे तो दुनिया में बहुत सी ऐसे जगह मौजूद है जो इतिहास के पन्ने में दफ़न है ,ऐसा
ही एक जगह है तख़्त-ए रूस्तम नाम का बौद्ध स्तूप जो अफगानिस्तान में मौजूद है , इस का नाम तख़्त-ए रूस्तम ईरान के प्रसिद्ध वीर रूस्तम के आधार पर पड़ा जो यहा की लोककथा का प्रसिद्ध पात्र है इस के बारे में ज्यादा जानकारी तो अभी मिली नहीं है ,और यहा के वर्त्तमान हालत में ऐसा असंभव है क्यों की यहा तालिबान और अफगानिस्तान की फ़ौज का युद्ध का मैदान बना हुआ है ,कुषाण शासकों के अधीन 4 और 5 वीं शताब्दी के दौरान यह एक प्राचीन शहर और प्रमुख बौद्ध केंद्र में से एक था ,कुषाण शासकों खुद बौद्ध धर्म को मानते थे और उनकी प्रजा भी उनके समय बौद्ध धर्म बहुत फला फुला लेकीन 6 वीं सदी में इस्लाम के उदय के साथ यहा बौद्ध धर्म का सूर्य आस्त हो गया और आज केवल बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष और कुछ यादे ही यहा बाकि है
यह स्तूप और मठ पहाड़ो को काट के बनाया गया है और यह थेरवाद बौद्ध सम्रदाय से था इस में पांच कक्ष,दो पूजा के स्थान जिस में से एक में गुंबददार छत है और उस पर खूबसूरत कमल के पतों को उकेरा गया है ,इस के पास की पहाड़ी पर स्तूप मौजूद है जिस के अंदर कुछ गुफाएं है और इस स्तूप का व्यास 22 मीटर वर्ग है ,तख्त के पास बौद्ध विहारों की सख्या 10 है स्थानीय लोग इसे "किए तेहि " बुला थे है।





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