Tuesday, 1 December 2015

दिआमेर-भाशा प्राचीन बौद्ध शैल चित्रकला ,पाक अधिकृत कश्मीर ,भारत
पाक अधिकृत कश्मीर जिसे पाकिस्तान अपना बताता है और गिलगित-बल्तिस्तान प्रान्त कहता है इस में प्रस्तावित -दिआमेर-भाशा डैम में करीब 30,000 प्राचीन बौद्ध नक्काशियों और शिलालेखों डूब जायेगे ऐसा कहा जा रहा है की यहा मौजूद शिलालेख में ब्राह्मी, सोग़दाई , मध्य फारसी, चीनी, तिब्बती और यहा तक की प्राचीन हिब्रू के शिलालेख मौजूद है और यहा के करीब शिलालेख 80 प्रतिशत शिलालेख ब्राह्मी भाषा में हैं। यहा पर मौजूद सबसे पुरानी शैल चित्र पाषाण युग की है इस के बाद कांस्य युग शैल चित्र भी यहा मौजूद है। ऐसा कहा जाता है पहली शताब्दी में बौद्ध धर्म यहा पंहुचा और पांचवीं और आठवीं शताब्दी के बीच अपने चरम पर पहुंच गया उस समय काल के बुद्ध और स्तूपों के कई शानदार चित्र यहा देखे जा सकते है इस के अलावा यहा तिब्बती बौद्ध धर्म के चित्र भी देखे जा सकते है जो अब डूब जायेगे।





भारत सरकार इस डैम का विरोध कर रही है क्यों यह पाकिस्तान द्वारा अधिकृत भारतीय सीमा में बन रहा है , और उस ने अमेरिका से भी अपील की थी को वो इस डैम के लिए पाकिस्तान को पैसा न दे और न अपने देश की प्राइवेट कंपनी को पैसा देने दे लेकीन अमेरिका ने भारत के पीठ में छुरा घोपते हुए पाकिस्तान को पैसे देने पर सहमति दे दी है
( यह इलाका पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किये हुए भारतीय हिस्से में है ,जिस पर पाकिस्तानी नियंत्रण है )

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