थिकसे गोम्पा या थिकसे बौद्ध मठ ,लेह
लेह से 25 कि.मी. की दूरी पर है अत्यंत सुंदर थिकसे मठ। थिकसे मठ के ऊपर से देखने पर सिंधु घाटी के सुंदर नजारे को देखा जा सकता है। इसके ऊपरी भाग में गुरु रिनपोच या लामा के लिए स्थान हैं। दीवारें अत्यंत सुंदर चित्रों और कलाकृतियों से मढ़ी हैं। लखंग और दुखंग का भी अन्य बौद्ध गुरुओं-जैसे बोद्धिसत्व, मैत्रेय, अवलोकेत्श्वर की तरह स्थान है। स्थानीय भाषा में थिकसे का अर्थ है पीला। यह गोम्फा पीले रंग का होने के कारण थिकसे गोम्पा कहलाता है। 12 हज़ार फीट पर पहाड़ी के ऊपर बनी हुई यह गोम्फा तिब्बती वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। इस मठ को 15 वीं शती में शेर्ब जंगपो के भतीजे पल्दन शेराब ने बनवाया था। 12 मंजिलों वाले इस मठ में कई भवन, मंदिर और भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ है। प्रमुख मन्दिर में बुद्ध की 15 मीटर ऊँची काँसे की मूर्ति को हर मंजिल से देखा जा सकता है। दीवारों पर बनी कलाकारी अद्भुत है और बुद्ध भगवान के मुकुट की चित्रकला अनूठी! यह मठ लगभग 10 छोटे बौद्ध मठों की देखभाल करता है.17वीं और 18वीं शताब्दी के 12वें तिब्बती गुरु की स्मृति में कार्यक्रम इसी मठ में आयोजित होते हैं। इसके पास ही शेय गोम्पा व माथो गोम्पा है।
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