Saturday, 11 April 2015

स्पीतुक गोम्पा या स्पीतुक बौद्ध मठ ,लेह
लेह हवाई-अड्डे से कुछ ही दूरी पर है, स्पीतुक मठ। इस मठ का निर्माण 11 वीं शताब्दी में ओद डी द्वारा करवाया गया था। यह बौद्धों के साथ हिन्दुओं व सिखों की आस्था का भी केंद्र है। इस मठ के ऊपरी भाग में भगवती तारा का मंदिर है। मूर्ति सालभर कपड़े से ढँकी रहती है। सिर्फ जनवरी में दो दिन आवरण हटता है।
माना जाता है कि तारा की आराधना भगवान बुद्ध करते थे। हिन्दुओं के लिए सिद्धपीठ काली का मंदिर है। लद्दाखी जनता के लिए यह देवी पालदन लामो है। यहाँ विभिन्न आकार-प्रकार वाले मठों की शृंखलाएँ हैं। स्पीतुक मठ दलाईलामा के लिए विशेष रूप से आरक्षित किया गया है। यहाँ आने पर वह इसी मठ में ठहरते हैं। पर्यटक यहाँ वज्र-भैरव की एक विशाल मूर्ति भी देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त 11 सिर वाली अवलोकतेश्वर तथा बुद्ध की एक सुंदर प्रतिमा भी यहाँ स्थापित है। यहाँ एक काली माँ का मंदिर भी है। कुछ हिंदू यहाँ मंदिर के आकर्षण से आते हैं।

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