Thursday, 5 March 2015

कार्ले चैत्यगृह,
कार्ले चैत्यगृहअथवा 'कार्ला गुफ़ाएँ' 2 शताब्दी ईसा पूर्व से 2 शताब्दी ईस्वी और 5 वीं शताब्दी से 10 वीं सदी के बीच दो बार में विकसित प्राचीन ग़ुफ़ाएँ हैं जो महाराष्ट्र राज्य के पुणे(58 किलोमीटर) और मुम्बई (98 किलोमीटर) के मध्य एक नगर 'कार्ला' में स्थित हैं।
इस गुफा की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ पर पत्थरों को तराश कर की गयी खूबसूरत नक्काशी जो आप को सोचने पर मजबूर कर देगी।
मुख्य गुफा की लम्बाई 38.25 मीटर, चौड़ाई 15.10 मीटर तथा ऊँचाई 14.50 मीटर है। यह चैत्यगृह दोनों तरफ़ सीधी रेखा में बने स्तम्भों के लिए प्रसिद्ध है। इस विशाल चैत्यगृह में तीन विहार भी हैं।और यहाँ पाये गए चैत्यगृह भारत में पाये गए कुछ विशाल चैत्यगृहों में एक है। यहां मुख्य चैत्य गृह के दरवाज़े के पास बाए हाथ पर एक सिंहस्तंभ स्थित है। भारत में सम्राट अशोक ने ऐसे स्तंभ बनवाए थे और यह बहुत खूबसूरत है। इसमें आगे का भाग दो मंजिला है, और नीचे के हिस्से में तीन दरवाज़े हैं। ऊपर एक बरामदा है, जिसमें एक विशाल चैत्य गवाक्ष है। चैत्यगृह के अन्दर एवं बाहर कई अभिलेख अंकित है। इसी आधार पर इसके निर्माण का समय प्रथम शताब्दी ई. का प्रारम्भिक चरण माना जाता है

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