Monday 16 March 2015

सम्राट अशोक का भाब्रू ,राजस्थान का शिलालेख (अब कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी में है )
भाब्रु राजस्थान मे जयपुर के निकट स्थित है यहां से सम्राट अशोक का शिलालेख मिला था जिस से उनके के बौद्ध मतावलम्बी होने का स्पष्ट प्रमाण मिलता है। इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म तथा संघ में अपनी आस्था प्रकट की है और बौद्ध ग्रंथों के कुछ उदाहरण भी दिये गयें हैं और भिक्षुओं तथा उपासकों दोनों से कहा गया है कि वे उनका पठन एवं मनन करें यह शिलालेख अब कोलकाता के बंगाल एशियाटिक सोसाइटी के भवन में है।


इस के कोलकाता पहुचने की कहानी
ब्रिटिशकाल के एक कैप्टेन बर्ट ने इसवी 1837 में विराट नगर से कुछ दूर भाब्रू गाँव से सम्राट अशोक के इस शिलालेख को खोज निकाला था। इसके नष्ट हो जाने के डर से कैप्टेन ने बड़ी सावधानी से इस शिलालेख को चट्टान से अलग काटकर विभाजित करवाया। माना जाता है की यह शिलालेख बीजक की पहाड़ी से ही प्राप्त हुआ था, जो कालांतर में भाब्रू पहुँच गया। कैप्टेन बर्ट इसे कोलकाता ले गए और वहां ये अभिलेख बंगाल एशियाटिक सोसाइटी के भवन में स्थापित किया गया है।इसी कारण से यह शिलालेख भब्रू बैराठ कोलकाता अभिलेख के नाम से भी जाना जाता है।

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