डम्बल,,कर्नाटक
डम्बल 12 वीं शताब्दी तक बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था। डम्बल में 10 वीं सदी के शिलालेख के साथ एक पुराने बौद्ध मंदिर है। मंदिर बौद्ध देवी तारा को समर्पित है। अतीत में यहा एक विहार भी था। 12 वीं सदी के दौरान डम्बल एक बौद्ध केंद्र के रूप में तब विकसित हुआ जब हिंदू धर्म अपने चरम पर था यहा मिला 1095 ईस्वी का शिलालेख इस बात की पुष्टि करता है।
देवी तारा का वैसे हिन्दू धर्म और बौद्ध धम्म के एक साथ मिल जाने का प्रतीक है 9 वी सदी से पहले बौद्ध धम्म में देवी तारा को कोई जिक्र नहीं है यह उस समय के बाद ही बौद्ध धम्म में दिखाई देती है जब हिन्दू धर्म भारत में एक बार फिर अपने चरम पर पंहुचा और उस ने बौद्ध धम्म पर अपना प्रभाव डाला।
तिब्बती बौद्ध धर्म में देवी तारा को शक्ति व तंत्र की देवी के रूप में ख्याति प्राप्त है। देवी तारा को तिब्बती बौद्ध श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। तिब्बती बौद्ध साहित्य के अनुसार मानव सभ्यता के उदय के साथ मंत्र-तंत्र का उदय भी माना जाता है। तिब्बती लामाओं द्वारा तारिणी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वे इससे साधना कर अद्भूत अलौकिक शक्ति प्राप्त करने का अनुभव करते हैं। तारिणी तंत्र में देवी तारा की साधना की जाती है। देवी तारा के विषय में बौद्ध तंत्र में उल्लेख है कि यह यौनाचार को छोड़ अन्य साधन से प्रसन्न नहीं होती।
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