Friday, 6 March 2015

सम्राट अशोक का गुजर्रा मध्य प्रदेश,का शिलालेख
मौर्य राजवंश के तीसरे राजा सम्राट अशोक कलिंग युद्ध में हुए भीषण नरसंहार को देख नहीं सके। इस युद्ध में एक लाख से ज्‍यादा लोग मारे गए थे। इसके बाद सम्राट का मन द्रवित हो उठा और उन्‍होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया। इसके बाद उन्‍होंने बुंदेलखंड को भी छोड़ दिया ।झांसी से करीब 40 किमी. दूर गुजर्रा गांव में 15 दिनों के लिए रुके थे। यहां रखे एक बड़े पत्‍थर में सम्राट ने पांच पंक्तियों में पूरी दुनिया को अहिंसा का संदेश दिया था।
सम्राट अशोक के शासनकाल में गुजर्रा नामक यह स्थान भारत का मध्य बिंदु माना जाता था। कलिंग युद्ध के बाद 261 ईसा पूर्व सम्राट अशोक इस स्थान पर बिहार से सांची जाते समय रुके थे। छोट-छोटे पत्‍थरों और पहाडि़यों से घिरे इस स्‍थान का नजारा काफी विहंगम है। यहां रखे हुए एक बड़े पत्‍थर पर सम्राट अशोक का लघु शिलालेख है। इसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित कर रखा है। यह करीब 10 फीट चौड़ा और मोटा है। इस पर सम्राट का नाम भी लिखा है इसलिए इसे विशेष माना जाता है।
अशोक का सम्राज्य पूरे भारत के साथ ही पश्चिमोत्‍तर के हिंदुकुश और ईरान की सीमा तक था। इनके द्वारा लिखवाए गए अभी तक कुल 33 शिलालेख प्राप्‍त हुए हैं। ये लेख बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से एक है

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