Friday 6 March 2015

देव-नी-मोरी स्तूप (साबरकांठा) गुजरात
देव-नी-मोरी स्तूप अहमदाबाद से 132 किमी की दूरी पर स्थित है। कहाँ जाता है 2 और 7 वीं शताब्दी के बीच यह एक बहुत बड़ा बौद्ध प्रतिष्ठान था इस बौद्ध स्थल में बहुत से स्तूप , चैत्य और विहार मिले थे यह स्तूप मेषवो नदी के किनारे है। ।कहाँ जाता है सम्राट अशोक ने भारत भर में 80,000 स्तूपों को बनवाया था। यह भी उन्ही में से एक था जहाँ, बुद्ध की अस्थियां रखी गयी थी। देव-नी-मोरी दुनिया के उन पांच स्थानों में है, जहां बुद्ध की अस्थियां मिली थीं। चीनी यात्री ह्वेन-सांग भी वडनगर-विजयनगर के आसपास के इलाकों में आए थे और उन्होंने लिखा है कि इस इलाके में उन दिनों लगभग 1300 बौद्ध भिक्षु विहार करते थे। देव-नी-मोरी स्तूप 1960 में खोजा गया। देव-नी-मोरी में अभी भी महास्तूप है, लेकिन बुद्ध की अस्थियां और वह रत्न पेटी जिस में बुद्ध की अस्थियां मिली थी ,बुद्ध की 17 टेराकोटा की मूर्तियों के साथ अब महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा में पुरातत्व विभाग में रखे गए है
गुजरात सरकार यहाँ दुनिया का सबसे बड़ा आधुनिक स्तूप बनाने की तैयारी कर रही है प्रस्तावित स्तूप की ऊंचाई 351 फुट होगी और इसमें स्थापित होने वाली भगवान बुद्ध की प्रतिमा की ऊंचाई 151 फुट होगी। लगभग 100 एकड़ में स्तूप को विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर 1000 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।

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