देउर कोठार,रीवा,मध्य प्रदेश
देउर कोठार भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रीवा जिले में स्थित पुरात्वात्विक एवं साम्स्कृतिक महत्व का स्थान है। यह अपने बौद्ध स्तूप के कारण प्रसिद्ध है जो 1982 में प्रकाश में आये थे। ये स्तूप अशोक के शासनकाल में (ईसापूर्व तीसरी शताब्दी) निर्मित हैं।
यहां लगभग दो हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र गुफाएँ मौजूद है। देउर कोठार, रीवा-इलाहाबाद मार्ग के सोहागी में स्थित है। यहां मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने तीन बडे स्तूप और लगभग 46 पत्थरो के छोटे स्तूप बने है। अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया। यह क्षेत्र कौशाम्बी से उज्जैनी अवन्ति मार्ग तक जाने वाला दक्षिणापक्ष का व्यापारिक मार्ग था। इसी वजह से बौद्ध के अनुयायिओं ने यहां पर स्तूपों का निर्माण किया होगा। ऐसा कहा जाता है कि देउर कोठार में भरहुत से अधिक प्राचीन स्तूप है। यहां बौद्ध भिक्षू अत्यात्मिक स्थल बनाकर शिक्षा-दिक्षा और साधना करते रहे होगें इसके प्रमाण यहां मिलते है।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों का विंध्यक्षेत्र शिक्षण केन्द्र था इसके प्रमाण देउर कोठार मे मिलते है। वर्ष 1999-2000 में इन स्तूपों की खोज हुई। तब यहां पर खुदाई के दौरान तोरणद्वार के अवधेश, मौर्य कालीन ब्राही लेख के अभिलेख, शिलापट्ट स्तंभ और पात्रखंड बडी संख्या में मिले। पुरानिधियों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि यह स्तूप परिसर भरहुत, सांची के समान ही विशाल और विकसित रहा होगा। इतना ही नही यहां हजारों वर्ष पुराने शैलचित्र वाली गुफायें भी स्थित है।
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